शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

सेक्स की मंडी में उपभोक्ता की चर्चा नही

यह अजब है, सेक्स की मंडी में उपभोक्ता की चर्चा नही है, जिसकी बेतुकी मांग के चलते यह मंडी दिन दूनी रात चौगुनी फलफूल रही है। मीडिया में भेड़ चाल है, पुलिस के पास एक डायरी का हवाला है जिसमें लड़कियों के नाम है जिनका ख्‍ाुलासा इस तरह किया जा रहा है मानों लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया को धर दबोचा है। कौन नही जानता की दिल्ली की मंडी में सेक्स किस तरह बिकता है देने वाले किस तरह से कीमत चुकाते है। पर पूरा अभियान एक तरफा चलाया जा रहा है,मजबूरी में इस पेशे में उतरी लड़किया बदनाम हो रही है और उन्हे हजारों लाखों कीमत देकर बाजार में बनाये रखने के दोषी ड्राइंगरूम में न्यूज चैनलों पर इच्छाधारी की काली करतूत न्यूज के मजे ले रहें है। इसी को कहते है चित भी मेरी पट भी मेरी। कौन नही जानता कि यह धंधा कैसे चलता है।
मीडिया और पुलिस बता रही है भगवा चोले की आड़ में हाईप्रोफाइल कॉलगर्ल रैकेट चलाने वाले ढोंगी बाबा द्विवेदी का मुख्य धंधा फार्म हाउसों में होने वाली स्टेग पार्टियों व पांच सितारा होटलों में लड़कियों की सप्लाई करने का था। इसके एवज में बाबा को मोटी रकम मिलती थी। बाबा के दिल्ली, उत्तर प्रदेश व हरियाणा के कई नेताओं से घनिष्ठ संबंध की बात भी सामने आ रही है। मीडिया को चाहिए जितनी तत्परता उसने यह बताने में की कि बाबा के इस धंधे से कई प्रसिद्ध कॉलेजों की छात्राएं व एयर होस्टेस जुड़ी हैं, जिनकी संख्या 30 से अधिक है। इसके पास कई ऐसी भी खूबसूरत लड़कियां हैं, जिसकी कीमत बाबा एक लाख रुपये तक वसूलता था। इसके साथ ही मीडिया व पुलिस को उन उपभोक्ताआं या ग्राहकों के नेताओं के नामों का भी खुलासा करना चाहिए जो मंडी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। इनका नेटवर्क छोटे शहरो ंसे लेकर नेपाल और दुबई तक फैला है। महिलाओं की तस्करी पुरूषों की हवस शांत करने के लिए ही होती है। बाबा तो इस मडी का मोहरा भर है। देश के भ्रष्टतंत्र में "थ्री डब्ल्यू" का बोल बाला है। चित्रकूट के पूव सांसद प्रकाश नरायण त्रिपाठी इस मामले को चित्रकूट की आदिवासी लड़कियों से भी जोड़ रहें है। असल में यह कोई नयी बात नही है मीडिया हमेशा कालगर्ल को निशाना बनाता है उन्हे ही दोषी ठहराया जाता है, जबकि सचाई यह है कि कभी भी कोई दलाल अपनी पहल पर किसी ग्राहक से बात नही करता, ग्राहक दलाल और लड़की को काल करता है, और साफ बरी हो जाता है। कई साल पहले की बात है लखनउ के एक होटल में एक आईएएस अधिकारी ने कालगर्ल को बुलाया, जब वह कमरे में दाखिल हुई तो उसने देखा सामने एसके पिता खड़े है पिता भी अपनी बेटी को इस धंधे में देख कर आग बूबला हो गया, उसने रिवाल्वर से गोली चला दी। उसकी अपनी बेटी इस धंधे में थी यह बुरा लगा दूसरी की होती तो कोई बात नही, यह इस धंधे की सच्चाई है। बेहतर है कालगर्ल रैकेट की लड़कियों के बजाए उनके ग्राहकों के नाम सावर्जनिक होना चाहिए।